ना मिटे कर्म का लेख विधाता ने जो लिख डाली,
लालच है इक बुरी बीमारी मोहे रोज सतावे भारे,
मैं तेरे दर पे बाबा कई महिमा है न्यारी,
ना मिटे कर्म का लेख विधाता
जीवन मेरा तेरे हवाले बाबा इक बार गले लगा ले,
तेरे दर का बन जाऊ नोकर लू जिमेदारी,
ना मिटे कर्म का लेख विधाता
बजरंगी मेहंदीपुर वाले अब तो बाबा दर्श दिखा दे,
तेरे भगत पे बाला जी अब है विपदा भारी,
ना मिटे कर्म का लेख विधाता