दीप दुप पूजन चली शिव भोला भंडारी,
जाग जाग केलाश के वासी शिव भोला भंडारी,
भूखे को अन प्यासे को पानी देता,ये भोला भर्फानी ,
जिस ने भी वर माँगा ये वर देता बाबा ओ वरदानी,
आग से खेले खेल निराले ये बाबा विष धारी ,
शिव भोला भंडारी....
शिव की जटा से बेहती है गंगा आँखों के कर्म धोती,
जिस की शरण में आके सब की मनसा पूरण होती,
ध्यान मगन जो सुमरे प्राणी जोगी नमो नमामी ,
शिव भोला भंडारी....
शिव है हमारी अंतर आत्मा शिव है अंतर यामी,
शिव महारानी आधी शक्ति है आधे नर और नारी,
चंदर विराजे मस्तक जिनके नंदी की है सवारी,
शिव भोला भंडारी....
तन मन मेरा चरणों में तेरे करती हु मैं अर्पण ,
नाथ दयालु भोले बाबा मुझको दिखाओ दर्शन ,
आया सजन चरणों में तेरे जागो हे त्रिपुरारी,
शिव भोला भंडारी....