मन में बस के मन बसिया दिल लूट के ले गया छलिया
कहे रो रो राधा कैसी ये रुस्वाई है
जिस दिन से गया तू नींद मुझे ना आई है
मन में बस के मन बसिया
सुन कान्हा तेरी याद में रोती रहती हूँ
तेरे दिए ख्वाब के दर्द को हर पल सेहती हूँ
क्या प्यार का मतलब श्याम जुदाई है
जिस दिन से गया तू नींद मुझे ना आई है
वो मधुर मुरलिया कानो से टकराती थी
खुश होकर पाँव की पायल शोर मचाती थी
बिन बंसी धुन ये पायल भी मुरझाई है
जिस दिन से गया तू नींद मुझे ना आई है
पनघट सूना सूनी ये कदम्ब की डाली है
दिन भी लगता अब कुंदन रात ये काली है
ये कैसी प्रीत सांवरिया तूने निभाई है