मुर्षित लखन बेसूद मति संकट हरो हे महारथी ,
मारुती मेरे मारुती मारुती आजा मारुती,
ऐसा न हो मिलना लखन लाओ शिगर बूटी संजीवन,
व्याकुल है मन यही सोच कर रुक जाए न दिल की गति,
मारुती मेरे मारुती मारुती आजा मारुती,
काली निशा घनघोर है अनहोनी बेह चहु और है,
कहा हो स्का नहीं कुछ खबर आखे तुम्हे ही निहारती,
मारुती मेरे मारुती मारुती आजा मारुती,
बिन लखन जी न पाउँगा मुँह जग को क्या दिखलाऊंगा,
अगर आये न तुम वक़्त पे दे दूंगा अपनी आहुति,
मारुती मेरे मारुती मारुती आजा मारुती,