रावणा के देश गयो,
सीया का संदेशो लायो ।
कबहू ना किनी वो तो बात अभिमान की ॥
छिन में समुंदर कूदे पल में पहाड़ लाये
लाये संजीवन बूटी लक्ष्मण के प्राण की
रावणा के देश गयो ॥
जब जब भीड़ पड़ी, तब तब आ सहाय करी
लंका तो फूँक आये रावण बेईमान की
रावणा के देश गयो ॥
कह भाई भरत दुहाई दशरथ की
जो न होते पवनसुत आवती ना जानकी
रावणा के देश गयो ॥
तुलसीदास बलिहारी हो धनुर्धारी
कहॉंतक बड़ाई करुँ वीर हनुमान की
रावणा के देश गयो॥
सीया का संदेशो लायो॥
कबहू ना किनी वो तो बात अभिमान की ॥॥
मनोज शर्मा
श्री बाला जी 7425046948