हे रघुपति प्रिय मारुति नन्दन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे ,
इस दिल के सिवा कुछ पास नहीं,
यह दिल भी तुम्हारा कर बैठे,
हे रघुपति प्रिय मारुति नन्दन......
भय रोग शोक सन्ताप प्रभु ,
अब ब्याप्त नहीं मेरे मन में,
जब से पकड़ा तेरे चरणों को,
सब दुःख दर्द किनारा कर बैठे,
हे रघुपति प्रिय मारुति नन्दन........
तुम मेरे थे मेरे हो,मेरे ही रहोगे राम सखा ,
प्रभु तुम्हे छोड़ कोई चाह नहीं,
तेरी प्रीत से झोली भर बैठे,
हे रघुपति प्रिय मारुति नन्दन.....
हे अजर अमर अंतर्यामी,
संकट मोचन हनुमान प्रभु ,
अब शरण तुम्हारे आये हैं,
हम श्रद्धा से झुकाये सर बैठे,
हे रघुपति प्रिय मारुति नन्दन ,
हम भी तुमको दिल दे बैठे.........
आभार: ज्योति नारायण पाठक