दादी दादी बोल रे मन

दादी दादी बोल रे मन दादी दादी बोल - २
आँखों के पट बंद कर - २ , मन के दरवाजे खोल,
दादी दादी बोल रे मन दादी दे बोल ।

कलयुग की अवतारी मईया झुंझुनू में है धाम - २
मिश्री से भी मिठो लागे दादी जी को नाम ,
जप ले माँ का नाम तू - २ , वाणी में अमृत घोल,
दादी दादी बोल रे मन दादी दादी बोल ।

या तू कह ले रानी सती या भज ले माँ नारायणी - २
नाम कई है दादी के,ये तो जग की महारानी ,
पल में रीझ जायेगी माँ - २ ,भाव से तू तोल ,
दादी दादी बोल रे मन दादी दादी बोल ।

"सौरभ मधुकर" इक दिन तुझको ये जग छोड़ के जाना - २
अब भी समय है लूट ले प्यारे दादी नाम खजाना ,
पूँजी दादी नाम की - २ , तू पाई पाई जोड़ ,
दादी दादी बोल रे मन दादी दादी बोल ।

भजन गायक - सौरभ मधुकर
भजन रचयिता एवं संगीत - सौरभ मधुकर
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