तू मन से भुला के देख दादी आये गी,
तू लग्न लगा के देख दादी आएगी,
तू मन से भुला के देख दादी आये गी,
मंदिर मंदिर भटक रहा मन ढूंढ रहा तू है किसको,
जिसके हिर्दय में भाव है सच्चा ढूंढ रही है माँ उसको,
जरा भाव जगा के देख दादी आएगी,
तू मन से भुला के देख दादी आये गी
आडम्बर को त्याग के माँ के चरणों को तू थाम ले,
जय दादी की जय दादी की कह कर माँ का नाम ले,
तू शरण में आके देख दादी आएगी,
तू मन से भुला के देख दादी आये गी
सौरव मधुकर भले बुरे कर्मो को पहचानती है ,
भाव है किसके मन में कैसे ये सब कुछ ही जानती है,
इसे अपना बना के देख दादी आएगी,
तू मन से भुला के देख दादी आये गी