खुशियों में दिन ओर रात काटू में-,
जाने लगा हु जब से खाटू में
फागुन में लाखों भगत ये आते है,
बाबा की जय जयकार लगते है,
बाबा के दर के चक्कर काटू में - जाने लगा हूँ...
मोर छड़ी का झाड़ा लगता है ,
भगतो की विपदा दूर हटाता है ,
बाबा से दुखड़ा अपना बाटू में - जाने लगा हूँ...
भगतो को तेरा भजन सुनता हूँ
तेरे भजनों में ही खो जाता हूँ,
अपने इस दिल कैसे डाटू में - जाने लगा हूँ...
भजन गायक :- शुभम रिठालिया
लिरिक्स :- शुभम
मो.न:- 8750104889