ओ दादी म्हाने काई को नहीं झुंझुनू बुलावे है

न्यारी दादी प्यारी दादी म्हारी दादी,
मैं भी मैया थारी बेटी माँ से नजर चुरावे है,
ओ दादी म्हाने काई को नहीं झुंझुनू बुलावे है,
मखमल जैया गोदी माहि माने भी सुलाले,
ओ दादी म्हाने काई को नहीं झुंझुनू बुलावे है,

दादी थारी नगरी माहने पिहरियो सो लागे,
ऐसो पीहर ससरियो भी रोज ही जानो चाहे,
जद जद याद करू मैं थाने जोर सु हिचकी आवे है,
ओ दादी म्हाने काई को नहीं झुंझुनू बुलावे है,

सारी सारी रात ओ मैया नैना मैं झुंझुन घूमे,
पलको से निंदिया की चिड़ियाँ हर दम उड़ जावे,
भूख लगे न प्यास लगे माँ हिवड़ो भर भर आवे है,
ओ दादी म्हाने काई को नहीं झुंझुनू बुलावे है,

अडोसी पडोसी सगळा सो कैसा है रिश्तो अपनों,
माँ अपनी बेटी ने खुद से दूर रखे दिन कितनो,
आइए न धूड़कार के इब तो दुनिया हासी उड़ावे है  
ओ दादी म्हाने काई को नहीं झुंझुनू बुलावे है,
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