खूब तेरा रूप ठाकुर खूब तेरे वायदे
क्यों ना निहाल करो दरश दिखाईके
तेरे कारन चली मैं तो जगत हसायके
ढुंढत फिरू मैं कहा रहे हो छुपायके
निशंक लियो री मैंने तन मन वार के
कलना पड़ेगी प्रभु बिना देखे आपके
तन मन की जानो सब कहूँ क्या बनाइके
निसदिन राखूं तोहे नयनो में छुपायके
मेहर करोनि लेवो कंठ लगायके
श्री राधा संग दर्शन देवो सत्संग में आयके