रामदूत महावीर हनुमान स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,
आस लगी तोरी किरपा निदान दया करो प्रभु दया निदान,
चरणों में बैठे है तुम्हरे अर्चन वंदन करते है,
अक्षत चंदन धुप दीप से हम अभिनन्दन करते है,
अवगुण मेरे न धरियो ध्यान स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,
लोब मोह मद काम के दानव मन में चुप के बैठे है
प्रभु भी भगति न होने देते मन को चंचल करते है,
रक्षा करो इनसे हनुमान स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,
अष्ट सीधी नव निधि के दाता सदा सहाई हो दुखियो के,
राम से नाता बना जो सबका भगये जगा दो प्रभु भगतो के,
भगति की ज्योति जले अविराम स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,