दर दर भटकु माँ मेरी तू ही संबलना,
तेरा सहारा माँ मेरी तू ही संभालना
किसको कहु मैं अपना कहने को अपने है,
पर कहा हकीकत में जब अपने भी सपने है,
अपने से मैं क्या कहु तुम ही बताओ माँ,
दर दर भटकु माँ मेरी तू ही संबलना,
जीवन की नैया छोड़ दी तेरे भरोसे माँ,
मझधार मेरी नैया है इसको संभालो माँ,
नैया मेरी ना डूबे गी तेरे होते माँ,
दर दर भटकु माँ मेरी तू ही संबलना,
जग से सुना है मैंने माँ तू जग की सहाई है,
अपने भगतो के लिए तू दोहडी आई है,
रोहित के जीवन में करना उजाला माँ
दर दर भटकु माँ मेरी तू ही संबलना,