जो मेरी माँ का सेवक बन गया उसकी बल्ले बल्ले,
वो मन की मुरादे पा गया उसकी बल्ले बल्ले,
है मइया जी के खेल निराले पल में उसके काज सवारे जो भी शरण में आया,
जो मेरी माँ का सेवक बन गया उसकी बल्ले बल्ले,
हो नीयत जिसकी अच्छी भगती हो जिसकी सची,
झोली छोटी पड़ जाती जब देने पे माँ आती,
जिसपे भगती का रंग छा गया उसकी बल्ले बल्ले,
जो मेरी माँ का सेवक बन गया उसकी बल्ले बल्ले,
कोई पहली वार जब आता वो बार बार फिर आता,
वो दूर नही रह पाता जब नाम नशा चड जाता,
जिसपे माँ का जादू छा गया उसकी बल्ले बल्ले,
जो मेरी माँ का सेवक बन गया उसकी बल्ले बल्ले,
मन में है लगन लगाए गुण माँ का अजीत गाये,
चरणों में शीश जुकाए माँ को अपना हाल बताये,
जो माँ की शरण में आ गया उसकी बल्ले बल्ले,
जो मेरी माँ का सेवक बन गया उसकी बल्ले बल्ले,