हुआ अचम्भा बेश देख कर तेरे यार,
देख जरा रुक्मण मामला ये प्यार का,
ऐसे कैसी पड़ी मुसीबत बेस बनाया कंगले का,
रहने का हकदार सुदामा कोठी महल और बंगले का,
असर दिखाई देता मेरे धनता की मार का,
देख जरा रुक्मण मामला ये प्यार का,
कैसे होंगे पतनी बालक सोच सोच कर लगता है,
दूर गरीबी हो जायेगी सोया भाग भी. जगता है
मेहमान ये बन के आया अपने द्वार का,
देख जरा रुक्मण मामला ये प्यार का,
करनी चाहिए मद्त आप को अगर सुदामा प्यारा है,
हम बचपन के साथी है और पहला प्यार हमारा है,
कमल सिंह ये सौदा नहीं है जीत हार का,
देख जरा रुक्मण मामला ये प्यार का,