मेरे श्याम की चौकठ पे जो भी झुक जाता है

मेरे श्याम की चौकठ पे जो भी झुक जाता है,
जो हार के आता है संवारा उसे जिताता है,
उस का हो जाता है,

अपने भगत को हार ने नहीं देता है,
हारे हुयो को बाहो में भर लेता है ,
जब कोई न हो साथ साथ उस के वो दाता है ये उसे जीतता है,
मेरे श्याम की चौकठ पे जो भी झुक जाता है,

एक कदम जो श्याम की और बढ़ाओ गे
कदम कदम पर श्याम का साथ  निभाओ गे,
अपने प्रेमी को संवारा दुखी देख न पाता है ये उसे जिताता है,
मेरे श्याम की चौकठ पे जो भी झुक जाता है,

हारने नहीं देगा ये तुझको दावा है,
हर पल होगा साथ श्याम का वादा है,
राज मित्तल सँवारे को भावो से रिजाता है
ये उसे जीतता है,
मेरे श्याम की चौकठ पे जो भी झुक जाता है,
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