दृष्टि ने तुम्हारी बाबा हम सब की सृष्टि बदल दी,
इक शक्ति अलौकिक भर दी आनंद में सृष्टि कर दी,
ये देह बानू बुलाती है दुनिया से दूर ले जाती है ,
जो उड़न खटोले में लेकर तीन लोक का सैर करवाती है,
श्री मत की डोर चित चोर बन अपनी और लिए चल दी,
दृष्टि ने तुम्हारी बाबा हम सब की सृष्टि बदल दी,
नहद से नाग में बोले अंतर् के भेद ये खोले,
हम इन्द्रए ये सुख में बोले नैनो के बैठ हिंडोले,
छल का है सागर मन की गगर में रूहानी मस्ती भर दी,
दृष्टि ने तुम्हारी बाबा हम सब की सृष्टि बदल दी,
इनमे संसार हमारा है नव युग का नया नजारा है,
कब वापिस घर को चलने का मिल रहा मधुर इशारा है
पावन निर्मल मुस्कानो ने नैनो में सेहजल भर दी ,
दृष्टि ने तुम्हारी बाबा हम सब की सृष्टि बदल दी,