जब जब मन तेरा गबराए कोई राह नजर न आये ,
तब ध्यान मग्न हो भजता जा रे,
ॐ नम शिवाय भजले ले रे भजले,
चार दिनों का मेला है फिर चला चली का खेला है रे,
झूठ कपट शल की नगरी में प्राणी तू अकेला है,
जो तू पाप घटाना चाहे थोडा पुन्य कमाना चाहे
तो ध्यान मगन हो भजता जा रे,
मैं हो गई वनवारी श्यामा जी तेरे प्यार में,
डाल से पंशी उड़ जाता है रेट का टीला ढल जाता है,
तेरा मेरा कुछ भी नही बस आने जाने का नाता है,
दुःख दर्द जो तुझे सताए सुख शान्ति नजर ना आये ,
तो ध्यान मगन हो भजता जा रे,
मैं हो गई वनवारी श्यामा जी तेरे प्यार में,
रुपिया पैसा काम ना आये सोना चांदी काम ना आये,
काल का पंजा सिर पे पड़े तो मेहल मलियां काम ना आये,
शिव जी सारे कष्ट मिटाए,
शंकर सब को गले लगाये,
तू ध्यान मगन हो भजता जा रे,
मैं हो गई वनवारी श्यामा जी तेरे प्यार में,