तर्ज - हमदम मेरे मान भी जाओ....
बड़ा ही पावन , है मन भावन श्रावण का सोमवार है,
कालो के ये ,वो महाकाल है पूजे जिन्हें संसार है,
मस्तक पर है चंद्रमा , बहे गंगा की धारा,
तन पे भस्मी रमाये है , पहने बाघम्बर प्यारा
सर्पो का हार है , दिव्य श्रंगार है
कानो में बिछु के कुंडल , हाथो में डमरू की ढमकार,
बड़ा ही पावन , है मन भावन....
खोल खजाने बेठे है , मेरे महाकाल सरकार
मांगना है जो माँगलो , है जिनको जो दरकार
शिव भोले दानी है , दुनिया दीवानी है
दिलबर शैलू को संग ले , आया आज तेरे दरबार
बड़ा ही पावन , है मन भावन....
।। सिंगर शेलेन्द्र मालवीया ।।
इंदौर म.प्र .
।। रचना - दिलीप सिंह सिसोदिया ।।
" दिलबर " नागदा म.प्र.