पीले शेर पे माँ होके सवार चली आ

ओ माँ छोड़ के पहाड़ इक बार चली आ,
पीले शेर पे माँ होके सवार चली आ,
शेरावाली ज्योतावाली मेहरवाली लाटा वाली सुन पुकार चली आ,
पीले शेर पे माँ होके सवार चली आ,

तेरी ज्योत जगाई है दरबार लगाया है,
भगतो ने ओ मैया तेरा भवन सजाया है,
फूलो से किया तेरा शृंगार बड़ा प्यारा,
सतरंगी खुशभु से ये मेहके नव सारा,
तेरी राह निहारे आजा माँ भगतो को दर्श दिखा जा
दे दीदार चली आ
पीले शेर पे माँ होके सवार चली आ,

माँ सिर को जुका कर के,
तेरा ध्यान लगा कर के बैठे है सभी मैया झोली फैला कर के,
भगतो की याहा मैया भीड़ लगी भारी,
जैकारे गूंज रहे सब बोले नर नारी,
तेरे दर से शेरावाली खाली लौटा नहीं सवाली ,
भर भंडार चली आ,
पीले शेर पे माँ होके सवार चली आ,

तू करुणा माई है माँ नहीं पत्थर दिल तेरा,
तू दौड़ी आएगी विश्वाश है मेरा,
मेरी बात न टाले गी आँचल में छुपा लेंगी
इस गिरी को मैया चरणों से लगा लेंगी,
मैया मैं भी तेरी  दासी है दर्शन को अखियां प्यासी,
कर उधार चली आ,
पीले शेर पे माँ होके सवार चली आ,
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