ओ छलिया श्याम सलोने अँखियो से मत कर टोने,
मैं पास न तेरे आउ नहीं माखन तुझे खिलाऊ
तू पल पल पल माखन को तरसाती है,
ओ राधा इतने नखरे घने दिखाती है,
ओ छलिया श्याम सलोने
मैं मथुरा लेकर माखन अब कंस के घर जाऊ,
तू छेड़ न मुझको जयदा तेरी माँ से बतलाऊ,
तू कैसे लेकर जाए जो मुझको नहीं खिलाये,
क्यों सांझ सवेरे पीछे पीछे आता है,
क्यों कान्हा तू मेरी मटकी फोड़ गिराता है,
ओ छलिया श्याम सलोने
जब जब पनिया को जाऊ तू रॉड मचाता है,
मैं लाख यत्न कर जाऊ तू पीछे आता है,पनघट की वही डगरियाँ,
क्या भूल गई तू गुजरियाँ,
तू पल पल पल माखन को तरसाती है,
ओ राधा इतने नखरे घने दिखाती है,
ओ छलिया श्याम सलोने