साँझ सेवरे अधरो पे मेरे बस तुम्हारो है नाम संवरिया
बस तुम्हरो है नाम
मैं तुम्हरी दासी तुम मेरे स्वामी मैं राधा तुम श्याम सांवरिया
बस तुम्हरो है नाम सांवरिया
जागी भी तो सोय रही मैं ध्यान में उसके खोय रही में
हाय मे क्या जानू क्या जानू कब दिन बीता
बीत गयी कब शाम संवरिया
बस तुम्हरो है नाम संवारिया
गोकुल मथुरा तीरथ सारे कितने सुंदर कितने न्यारे
पर मैं ना मानूं ना मानूं पति चरणों सा जग में कोई है धाम
संवरिया बस तुम्हरो है नाम