राजा श्री राम खजाने बेठे खोल के,
सीता जी के राम खजाने बैठे खोल के,
राजा श्री राम खजाने बेठे खोल के,
सब से प्यारे राजा का दरबार याहा सजा है ,
आने वाले आजा रे तेरा भाग्ये जगा है,
सोये हुए भाग जगाते है बेमोल के,
राजा श्री राम खजाने बेठे खोल के,
निर्धनों को जो रोज याहा धनवान बनाते है,
कुटियो में भी रहने वालो के मेहल बनाते है,
दुःख में रेहने वालो का भी साथ नही छोड़ ते,
राजा श्री राम खजाने बेठे खोल के,
सेवक का जो सेवा का ऐसा वरदान भी देते है,
उसे भगती की लेहरो का जो इक तूफ़ान भी देते है,
पतवार चलते है भवपार लगाते है,
राजा श्री राम खजाने बेठे खोल के,