श्री सतगुरु के प्रेमी मंजिल से ना घबराना

श्री सतगुरु के प्रेमी मंजिल से ना घबराना,
दिन रात नाम का तू सुमिरन करते जाना ।

दुनिया के भोग तुझको मंजिल से गिराएंगे
दुनिया के लोग तुझको दीवाना बताएँगे ।
बातो में नहीं आना, पग पग बढ़ते जाना,
श्री सतगुरु के प्रेमी मंजिल से ना घबराना ॥

यह तेरा मुकद्दर था, तुझे पूर्ण संत मिले,
जीवन की बगिया में भक्ति के फूल खिले ।
हरी नाम से तुम अपनी झोली भरते जाना
श्री सतगुरु के प्रेमी मंजिल से ना घबराना ॥

प्रभु रूठे गुरु राखे, गुरु रूठे ठौर नहीं,
गुरु सेवक का रिश्ता, रिश्ता कोई और नहीं ।
इस रिश्ते को मनवा मुख्य कर के जाना,
श्री सतगुरु के प्रेमी मंजिल से ना घबराना ॥
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