(संकीर्तन धुन-परम धन राधा श्रीराधा श्रीराधा)
गावो जी गावो, सतगुरु के गुण गावो।
जीवन अपना सफल बनावो ।।
सतगुरु से ले नाम की दीक्षा ।
ज्ञान ध्यान, जीवन की शिक्षा ।।
गुरु-मूर्त्त मन मांहिं बसावो
गावो जी गावो...
सुर-असुर ऋषि-मुनि नर नारी।
तिहूंलोक गुरुदेव पुजारी ।।
सदा सतगुरु बलिहारी जावो,
गावो जी गावो...
बिन स्वार्थ यही मीत हमारे।
गोविंद मिलन करावनहारे ।।
श्रीगुरु चरण, शरण लग जावो
गावो जी गावो...
गुरु-भक्ति, गुरु-टहल कमावो ।
जप गुरु नाम, परम पद् पावो ।।
'मधुप हरि' भवसागर तर जावो
गावो जी गावो...
(सर्वाधिकार लेखक आधीन सुरक्षित हैं। भजन जैसा है वैसा ही प्रेम से गाईए। भजन में अदला-बदली करना, सख्त वर्जित है)