सतगुरु जब तेरी याद आती है।
दिले धड़कन वहीं रुक जाती है।।
सांसों की माला पै सिमरन होता है।
याद कर कर तुम्हें दिल बड़ा रोता है।।
जिंदगी बसर यूहि होय जाती है -
सतगुरु जब तेरी याद आती है..........
खुश नसीबी यह मानों हमारी है।
दिले आयना में बसी सूरत तुम्हारी है।।
बात तस्वीर से ही हो जाती है
सतगुरु जब तेरी याद आती है........
बोलो हरि जी कब कृपा बरसावोगे।
जाम मस्ती का हमें कब वो पिलाओगे ।।
देखने को आंख यह तरस जाती है-
सतगुरु जब तेरी याद आती है..........
संकीर्तन कानों में अब भी है गूंजता।
नाम रस पीकर 'मधुप' मन झूमता ।।
साज़ों से भी यही आवाज आती है।
सतगुरु जब तेरी याद आती है.........