मेरा रोम रोम नित बोले शिव बोले

मेरा रोम रोम नित बोले शिव बोले,
मन शिव भगति में डोले शिव भोले शिव भोले,
मेरा रोम रोम नित बोले शिव बोले,

अलख जगाये धुनि रमाये शिव भोले भंडारी,
तीन लोक के स्वामी तेरी लीला सब से न्यारी,
हे सुख कारी तुम भोले शिव भोले,
मन शिव भगति में डोले शिव भोले शिव भोले,
मेरा रोम रोम नित बोले शिव बोले,

धृ त्रिशूल गल मुंड की माला ,
भाल चन्द्रमा सोहे निराला,
पारवती माँ संग में विराजे गोद विराजे गणपत लाला,
फिर देख के मनवा ढोले शिव भोले,
मन शिव भगति में डोले शिव भोले शिव भोले,
मेरा रोम रोम नित बोले शिव बोले,

दीं दुखी के तुम ही साहरे सारे जग के पालनहारे,
दर्श दिखाओ बिगड़ी बनाओ ाँ पड़ी है तेरे द्वारे,
हे नटनागर तुम भोले शिव भोले,
मन शिव भगति में डोले शिव भोले शिव भोले,
मेरा रोम रोम नित बोले शिव बोले,
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