कलयुग में एक बार कन्हैया ग्वाले बन कर आओ रे,
आज पुकार करे तेरी गइयाँ आके कंठ लगाओ रे,
कलयुग में एक बार कन्हैया
जिसको मैंने दूध पिलाया वोही आज सताते है,
चीर फाड़ कर मेरे बेटे मेरा मॉस विकाते है,
अपनों की अभिशाप से मुझको आके आज बचाओ रे,
कलयुग में एक बार कन्हैया......
काहे हम को मुर्ख बनाया घुट घुट कर यु मरते है,
उसपर दिये न तूने अपनी रक्षा करने को,
भटक गये एह मेरे बालक रस्ता आज दिखाओ रे,
कलयुग में एक बार कन्हैया.....
एक तरफ तो मेरे बछड़े अन धन को उपजाते है,
उसी अन को खाने वाले मेरा वध करवाते है,
हरष जरा तुमआके वध पे आके रोक लगाओ रे,
कलयुग में एक बार कन्हैया