काहे गबराते है दिल और काहे उदास है,
मुरलीधर मनमोहना दिल तेरे पास है,
काहे गबराते है दिल और काहे उदास है,
ढूढ़ने की उसको क्या है दरकार समाने खड़ा है तेरा श्याम सरकार,
काहे को पुकारता है जोर जोर से खींचता नहीं क्यों इसे प्रेम डोर से ,
छोटी सी प्रेम कुटियाँ में इसका प्रेम निवास है,
काहे गबराते है दिल और काहे उदास है,
सांवला कन्हैया तुझे देख रहा हाथ कैसे करू यही सोच रहा,
तू तो तेरे दुखो से परेशान है श्याम के तरफ तेरा नहीं ध्यान है ,
तू भी निराश है याहा वो भी निराश है,
काहे गबराते है दिल और काहे उदास है,
सांवला कन्हैया तेरे साथ साथ है,
वनवारी डरने की क्या बात है ,
श्याम का भजन दिन रात किये जा ,
साथ तेरा देगा इस याद किये जा,
लिखने जुबा से श्याम श्याम जब तक ये सांस है
काहे गबराते है दिल और काहे उदास है,