खुश हो जाए तो सांवरा,
हर ठाट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है…….
इस दर पे जब कभी आना,
और चाहो खुशियां पाना,
बनकर के सखा सुदामा,
चरणों में शीश झुकाना,
ये घर आँगन को,
धन दौलत से पाट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है…….
ये कलियुग का अवतारी,
लीले पर करे सवारी,
ले मोरछड़ी हाथों में,
हर लेता संकट भारी,
गम की बदली काली काली,
ये छांट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है....
नजरे है इसकी बांकी,
बस प्रेम से झांको झांकी,
पर ये याद सदा ये रखना,
ना करना कभी चालाकी,
ये चालाको की पल में,
खड़ी कर खाट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है….
खाटू नगरी इसे प्यारी,
सुन्दर मेरा श्याम बिहारी,
‘बेधड़क’ प्रेम करता है,
ये सच्चा प्रेम पुजारी,
अपने हिस्से की खुशियां,
सबमे बाँट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है…….
खुश हो जाए तो सांवरा,
हर ठाट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है,
ज्यादा उड़ने वालों के,
पर ये काट देता है……