फलक से सांवरे को आज जो भी देखता होगा
किया शंगार फूलो से है किसने सोचता होगा
फलक से सांवरे को आज जो भी देखता होगा
मुकट माथे पे स्वर्ण ये बड़ा मन भाये सांवरियां,
तेरी मोहक छवि पूजे लाखो नर और नारियां
ये मन पागल हो जाये तो नही कोई रोकता होगा
फलक से सांवरे को आज जो भी देखता होगा
तेरे इन तीन बानो की महिमा दुनिया जाने है
ततेरी शक्ति को क्या इंसान देवा स्वर्ग के माने है
न तुझसा देव था पेहले न कोई दूसरा होगा
फलक से सांवरे को आज जो भी देखता होगा