मुझे द्वारका दिखा दो नंदलाला,
नंदलाला भये गोपाला,
पहली पहली बार मैं तो मथुरा में लायी,
वहां जनम भयो रे नंदलाला,
मुझे........
दूजी दूजी बार मैं तो वृन्दावन में लायी,
वहां रास रचाये मेरो नंदलाला,
मुझे........
तीजी तीजी बार मैं तो गोकुल में लायी,
वहां गउये चराये मेरो नंदलाला,
मुझे.......
चौथी चौथी बार मैं तो बरसाने लायी,
वहां मुरली बजाये मेरो नंदलाला,
मुझे........