तन मन बोले श्याम श्याम ना श्याम बिना कोई भाये न
श्याम ही मेरे ठाकुर है और श्याम ही मेरे शालिग्राम
मेरी आँखों में है श्याम मेरी सांसो में घनश्याम
मेरी नींदों में है श्याम मेरे सपनो में है घनश्याम
ना श्याम बिना कोई काम ना श्याम बिना कोई धाम
मैं जोगन श्याम की मैं वावली श्याम की
दिन रात मैं फेरु श्याम की माला श्याम भजु सुबह शाम
तन मन बोले श्याम श्याम ना श्याम बिना कोई भाये न
जब जप्ती हु मैं श्याम बड़ा मिलता है आराम
हर चिंता हर हर दुःख से पा जाती हु आराम
है जादू ये श्याम है करिश्मा ये श्याम का
जब श्याम छवि देखू सारी दुनिया मैं भूलू
मैं चाहू युही श्याम चरण में हो जीवन की शाम
तन मन बोले श्याम श्याम ना श्याम बिना कोई भाये न