मेरे घर कबहू ना आवे सांवरिया रोज-रोज तरसावे,
रोज-रोज तरसावे कान्हा रोज-रोज तरसावे,
मेरे घर कबहू ना आवे सांवरिया रोज-रोज तरसावे॥
बिना बुलाए गलियन में डोले,
वह तो माखन चुरावे सांवरिया रोज-रोज तरसावे,
मेरे घर कबहू ना आवे....
बिना बुलाए जमुना पर आवे,
वह तो चीर चुरावे सांवरिया रोज-रोज तरसावे,
मेरे घर कबहू ना आवे...
बिना बुलाए पनघट पर आवे,
वह तो गगरी फोड़े सांवरिया रोज-रोज तरसावे,
मेरे घर कबहू ना आवे....
बिना बुलाए मधुबन में आवे,
वह तो गैया चरावे सांवरिया रोज-रोज तरसावे,
मेरे घर कबहू ना आवे.....
बिना बुलाए बरसाने आवे,
वह तो नैना लड़ावे सांवरिया रोज-रोज तरसावे,
मेरे घर कबहू ना आवे....