लम्भी उमर होती सुहाग

सिन्धुर लगाते सिर पे सिया जी को पाया है
अंजनी के लला को कुछ समज में ना आया है
बोले न सिन्धुर तूने क्यों सिर पे लगाया है
लम्भी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समजाया है

सिन्धुर को तन पे डाले अंजनी के लाल रे
सिर से पाओ तक बजरंगी हो गए लाल रे
रोम रोम राम नाम का सिन्धुर लाया है
लम्भी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समजाया है

सिन्धुर लपटे झूमे नाचे उमंग में,
रंगे हनुमान प्रभु राम जी के रंग में
देख भगती राम जी ने सीने से लगाया है
लम्भी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समजाया है
download bhajan lyrics (636 downloads)