मैं हु किस्मत की मारी ठोकर खा खा के हारी,

मैं हु किस्मत की मारी ठोकर खा खा के हारी,
घाटे वाले बाबा  जी मैंने ले ली शरण तुम्हरी,
चरणों में शीश झुकाया मेरी तो कोड़ी हो गई काया,

ये तो मैं भी जानू मन में खोता भाग लिखाया,
कौन जन्म का बुरा काम अब मेरे आगे आया रे,
धना रे मेरे तन से घोड़ बहे बाबा मेरे मन मे उदासी छाही,
तेरे दर पे अब दुखियाँ आई बाबा में तो दुःख में धनि छाई,
चरणों में शीश झुकाया मेरी तो कोड़ी हो गई काया,

माता पिता वे मुँह फेर गए मेरे पे रहते न्यारे,
बड़े बड़े होशयार डॉक्टर हाथ हिलगये सारे,
विखरे किते टोलु को आज छेड़ा मेरी ना बात समज में आई,
तेरे दर पे अब दुखियाँ आई बाबा में तो दुःख में धनि छाई,
चरणों में शीश झुकाया मेरी तो कोड़ी हो गई काया,

तेरे शरण में आई बाबा अर्ज मेरी मंजूर करो,
घाटे वाले बाला जी अब मेरी बीमारी दूर करो,
दिखे ने हरी राम वेसले ने ओ बाबा दिल से कारिका बिताई,
तेरे दर पे अब दुखियाँ आई बाबा में तो दुःख में धनि छाई,
चरणों में शीश झुकाया मेरी तो कोड़ी हो गई काया,
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