तिरलोकी रो नाथ जाट घर रह गयो हाळी रे

सौ बीघा को खेत जाट रो
राम भरोसे खेती रे
आधा में बाया गेहूँ चणा नै
आधा में दाणा मैथी रे
बिना बाड़ रो खेत जाट रो
श्याम रूखाळी रे
तिरलोकी रो नाथ जाट घर रह गयो हाळी रे

जाट जाटणी निर्भय सुता
सुता छोरा छोरी रे
साँवरियो पोहरा रे ऊपर
कौन करेला चोरी रे
चोर आवे पर चक्कर लगावे
जावे खली रे
तिरलोकी रो नाथ जाट घर रह गयो हाळी रे

मोठ बाजरी रो राम सोगरो
ऊपर घी रो लचको रे
पालक री तरकारी रान्धू
भरे मूली रे बटको रे
छाछ राबड़ी रा करे कलेवो
भर भर थाली रे
तिरलोकी रो नाथ जाट घर रह गयो हाळी रे
रह गयो हाळी रह गयो हाळी रह गयो हाळी रे
तिरलोकी रो नाथ जाट घर रह गयो हाळी रे
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