पैसा पैसा कैसा पैसा पैसा किस का साथी है
आती है जिस शान से दोलत उसी शान से जाती है
पैसा पैसा कैसा पैसा पैसा किस का साथी है
देर नही लगती खाली होते भरे खजानों को भीख मांगते देखा हमने बड़े बड़े धनवानों को
बंधी ग्रेह में रही उम्र भर मैया श्याम सलोने की
राम हुए वनवासी जल गई लंका सोने की
हरीश चन्दर जैसे राजा को मरघट तक पहुचाती है
आती है जिस शान से दोलत उसी शान से जाती है
दोलत इक सुनेहरी नागनी जेहर बड़ी सोगात है
चार दिनों की ये है चांदनी फिर तो अँधेरी रात है
ना करना तू इस पे भरोसा ये चंचल दीवानी है ,
आज याहा कल वाहा है दोलत ये तो आणि जानी है
पाप कराती इंसानों से ये बईमान बनाती है
आती है जिस शान से दोलत उसी शान से जाती है
प्रभु ने दिया संसार का भेभाव कर्ज समज उपभोग करो
नर तन केवल इसी लिए है प्रभु से अपना योग करो
हाड जले जो सुखी लकड़ी केश यु गास रे
कंचन सी तेरी काया जल गई आया न कोई साथ रे
अपने और पराये रोमी श्मशान के साथी है
आती है जिस शान से दोलत उसी शान से जाती है