मैं कृष्ण बजू या राम रे
मेरे दोनों में अटके प्राण रे,
तेरी पूजा तेरी भगती और न दूजो काम रे
मैं कृष्ण बजू या राम रे
दर्श बिना मोरी अखियाँ तरसे
राह तके सुबह शाम रे
मैं कृष्ण बजू या राम रे
केहत कबीर सुनो बई साधू
कंचन नित सख खाम रे
मैं कृष्ण बजू या राम रे