मैं बनकर मोर बाबा की रोज मंदिर में आया करू,
नित भोर बई ओ सांवरियां मैं दर्शन तेरा पाया करू
मैं बनकर मोर बाबा की
जब मन्दिर मन्दिर आरती हो मैं शत शत उडती डोलु,
घंटी शम्भु की सुन के संग पेखो पेखो बोलू,
पंखो के अपने फैला के हो कर के मगन में नाचा करू
मैं बनकर मोर बाबा की
तेरी किरपा दृष्टि जो पढ़ जाए ये जीवन सवर जाए मेरा
हर सास में तेरा नाम बसे इक तू ही सहारा मेरा
जब भी भगतो के चर्चा हो मैं भगत तुम्हारे कहाया करू
मैं बनकर मोर बाबा की