कर शुकराना गुरु अपने दा रज रज के

कर शुकराना गुरु अपने दा रज रज के,
जीना हम को शिखाते गुरु जी हस हस के
कर शुकराना गुरु अपने दा रज रज के,

दीन दयालु तारण हारा जो सबना दा बने किनारा
हसदी एहदी बड़ी ही उची हर कहे कहे जो सूचि
जय जय कार करी जा इस दी घज घज के
कर शुकराना गुरु अपने दा रज रज के,

खान गुना दी सतगुरु मेरा ज्ञान सूरज तो करे सवेरा
जो भी इसदी शरनी आये मंजिल उसदी पार लगाये
कदम कदम ते रहंदा जो संग हर पल वे
जीना हमको शिखाते गुरु जी हस हस के

गूर वन्दगी एसी नैया गूर ही बाँदा आप खावैयाँ,
लख चोरासी पार लगान्दा कमल आस दे आप खिलादा
सीख गुरा दी ते चल तू राही बिन भटके
जीना हमको शिखाते गुरु जी हस हस के
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