तेरे द्वार खड़े हैं जोगी,
कब कृपा तेरी होगी,
मेरे सतगुरु भोले भाले,
सब संकट मिटाने वाले,
हम तेरे नाम के रोगी,
तेरे द्वार खड़े हैं जोगी,
कब कृपा तेरी होगी॥
हम तेरे दरबार में आए, सारा जगत भुलाके,
मन की पूरी आशा कर दो अपनी शरण लगाके,
तू ही सबका सहारा, डूबते का तू ही किनारा,
हम पर उपकार करो जी,
तेरे द्वार खड़े हैं जोगी,
कब कृपा तेरी होगी॥
सोणा तेरा रुप निराला, भक्तों को तूने तारा,
हम ने तेरे दर पे आकर झोलियों को फैलाया,
तेरी जय हो सतगुरु प्यारे, हमको तू जान से प्यारा,
तुम सबके हो सहयोगी,
तेरे द्वार खड़े हैं जोगी,
कब कृपा तेरी होगी॥
तन भी मेरा मन भी मेरा तुझको ही अर्पण,
दास तेरा ये सदा ही मांगे, तुझसे तेरे दर्शन,
हम आए हैं दर पर तेरे तुम अपनी भक्ति दो जी,
तेरे द्वार खड़े हैं जोगी,
कब कृपा तेरी होगी॥