चढ़ गई चढ़ गई जी मेनू नाम वाली मस्ती,
जब सत्संग गुरु जी करदे,
मुखो अमृत वर्षा करदे,
मिट गई जी मेरी मैं वाली हस्ती,
चढ़ गई चढ़ गई जी मेनू नाम वाली मस्ती...
सतगुरु दे चरना विच बह के,
ज्ञान वाली गंगा विच बह के,
लग गई जी पार आसा वाली कश्ती,
चढ़ गई चढ़ गई जी मेनू नाम वाली मस्ती...
मतलब दी ऐह रिश्ते दारी,
मतलब दी ऐह दुनिया सारी,
बस गई जी मन खुशिया दी बस्ती,
चढ़ गई चढ़ गई जी मेनू नाम वाली मस्ती...