प्रभु मेरी नैया पार उतारो
मैं डूबट हु मज्धारो,
प्रभु मेरी नैया पार
भव सागर जल दुष्टर भारी सुजत ना ही किनारों,
भीच समंधर घोटे खावे बिन केवट मज्धारो,
प्रभु मेरी नैया पार
लम्भी लेहर उठे पल पल में नही चल छल अधारो,
परवल पवन चले निष् बासर चहु जिस घोर अंधियारों,
प्रभु मेरी नैया पार
हाथ पैर में जोर न मेरे नही कोई संग संगारो,
भरमा नन्द भरोसो तेरो अब नही देर विचारों,
प्रभु मेरी नैया पार