हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता....
किया करते हो तुम दिन रात क्यों किस बात की चिंता,
तेरे स्वामी को रहती है तेरी हर बात की चिंता,
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता......
ना खाने की ना पीने की ना मरने की ना जीने की,
रहे हर स्वास में भगवान के प्रिय नाम की चिंता,
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता.....
विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में,
उन्ही का कर रहे गुणगान तो किस बात की चिंता,
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता.....
हुई भक्त पर कृपा बनाया दास प्रभु अपना,
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता,
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता,
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता......