मन माखन मेरो चुराए गेयो री प्यारो प्यारो मोहन
नैनों से ये बात करे और मुख से कुछ ना बोले,
जब जब बोले मीठो मीठो बोले, काना में अमृत घोले ,
ओ यो तो सौ सौ तीर चलाई गयो रे प्यारो प्यारो मोहन
मन माखन मेरो ...............
बहुत रंगीलो बहुत छबीलो, बहु-अनुरागी है मोहन
चंचल चपल यो रमणी रमता, गोपी वल्लभ मोहन
ओ यो तो भक्तां को चित्त चुराई गयो रे प्यारो प्यारो मोहन
मन माखन मेरो ...............
सुन्दर श्याम कमल तल लोचन, दुख मोचन यो है ब्रजराज
यहाँ पे आके ऐसे बिराजे, जैसे इनको राज
ओ यो तो नैना सू दिल में समाई गयो रे प्यारो प्यारो मोहन
मन माखन मेरो ............