पनघट पर खड़ी अकेली रस्ता देखु भाई का,
इन्तजार करती मेरी राखी कान्हा तेरी कलाही का,
आजा रे कान्हा आजा रे आ,
बरसो से है ये तमना तेरे जैसा हो भाइयाँ,
आसमा के करते कोई लाल मुझे बोले मियां,
ना जानू तू कब आएगा कब होगा असर दुहाई का,
इन्तजार करती मेरी राखी कान्हा तेरी कलाही का,
आजा रे कान्हा आजा रे आ,
जब जब तेरी याद सताये दिल मेरा भर आता है,
दिल से मेरी निकले हाय जे पल मुझे सताता है,
करू सामना तू बतला मैं कैसी इस सचाई का,
इन्तजार करती मेरी राखी कान्हा तेरी कलहाइ का,
आजा रे कान्हा आजा रे आ,
माथे पर जब तिलक करो तो चेहरा देखूँगी तेरा,
मैं भी सब से यही कहु गी कान्हा भाई है मेरा,
या नरसी को भेज कन्हियान फर्ज निभाए भाई का,
इन्तजार करती मेरी राखी कान्हा तेरी कलहाइ का,
आजा रे कान्हा आजा रे आ,