सोने के सिंगाशन बेठ रहे भगवान है

जन्म भूमि का हो रहा निर्माण है
तम्बू से सिंगाशन बेठ रहे भगवान है

मंगल भवन अम्ग्ल हरी दवु सुदाश्त्थ अजर बिहारी,
सरयू जी का अब सिद्ध हुआ अस्नान है
सोने के सिंगाशन बेठ रहे भगवान है

राम जन्म जग मंगल हेतु सत्ये संग सूती पालक सेतू,
मंदिर बन ने से आई जान में जान है
सोने के सिंगाशन बेठ रहे भगवान है

जो आंनंद सिन्दू सुख रासी सी करते तिरलोक सुपासी,
खुश नाच रहे अब अनजानी के लाल है
सोने के सिंगाशन बेठ रहे भगवान है

सो सुख धाम राम यश नामा अखिल लोक ध्याक विशरामा,
मेहंत ब्रिज मोहन देवन्दर का  राम में ध्यान है,
सोने के सिंगाशन बेठ रहे भगवान है
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