प्रगटे गोकुल कृष्ण मुरारी,
नक्षत्र रोहिणी कृष्ण अष्टमी,
भादों रात परम अंधियारी,
प्रगटे गोकुल-------------
बजत बधईया नन्द अंगनवां,
गोपिन ग्वाल बजावत तारी,
प्रगटे गोकुल--------------
भरि आनंद सब करत कुतूहल,
प्रेम मगन हर्षित नर नारी,
प्रगटे गोकुल---------------
देवन मिलि दुंदुभी बजावत,
धरा अवतरे कंस प्रहारी,
प्रगटे गोकुल कृष्ण मुरारी--।।
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणासी