कहां जाओगे राखो श्याम पकड़ के,
राखो श्याम पकड़ के मैंने बांध लिया कस के,
अब कहां जाओगे.....
जल भरने को चली गुजरिया सांकल कुंदा जड़ के,
खिड़की खोल के ग्वाले बढ़ गए शोर मचा रहे डटके,
अब कहां जाओगे.....
छीके ऊपर भरी मटकिया उसमें माखन भर के,
बाहर से वो कान्हा आयो खा गयो माखन बढ़के,
अब कहां जाओगे.....
जल भर के जब आई गुजरिया सुन रही जब खटपट को,
भीतर बढ़कर मोहन पकड़ो बांध लिया कस कस के,
अब कहां जाओगे.....
गुस्से में वह चली गुजरिया मत यशोदा घर को,
अपने लाल को जा समझा ले खा गयो माखन अडके,
अब कहां जाओगे.....
अरि गुजरिया तू बड़ी झूठी बोले बढ़ बढ़ बढ़ के,
मेरे लाल को चोर बतावे खा गए गुर्जर बढ़के,
अब कहां जाओगे.....
माता यशोदा की बातों को सुने गुजरिया चुप करके,
चंद्र सखी भजवाल कृष्ण छवि दे गए दर्शन अड़के,
अब कहां जाओगे.....